ग्वालियर दिनांक 11.11.2024। पुलिस अधीक्षक ग्वालियर श्री धर्मवीर सिंह,भापुसे द्वारा सायबर क्राइम के प्रकरणों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने एवं त्वरित कार्यवाही करने के साथ आमजन के बीच सायबर अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाने तथा उन्हें सायबर ठगी का शिकार होने से बचाने के दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं और समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी तारतम्य में अति0 पुलिस अधीक्षक (पूर्व/अपराध/यातायात) श्री कृष्ण लालचंदानी,भापुसे द्वारा सायबर सेल एवं सायबर क्राइम विंग की पुलिस टीम को आमजन के बीच सायबर अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाने तथा उन्हें सायबर ठगी का शिकार होने से बचाने हेतु निर्देशित किया गया।

वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों के परिपालन में एएसपी अपराध श्री आयुष गुप्ता,भापुसे व डीएसपी अपराध श्री नागेन्द्र सिंह सिकरवार के कुशल मार्गदर्शन में सायबर सेल प्रभारी उनि0 रजनी रघुवंशी के नेतृत्व में सायबर सेल टीम को सायबर ठगी के बचाव एवं सायबर अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु लगाया गया। दिनांक 11.11.2024 को एक वरिष्ठ नागरिक राकेश कुमार गुप्ता रिटायर्ड नारकोटिक्स अधिकारी, सायबर सेल ग्वालियर में आये जो काफी ड़रे हुये थे। उन्होने बताया कि दिनांक 10.11.2024 को उनके मोबाइल पर व्हाट्सएप कॉल का आया और उसने स्वयं को सीबीआई अधिकारी बताया और बोला कि आपको डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है, हमारे यहां नरेश गोयल नाम के व्यक्ति को मनी लॉंड्रिंग के केस मे गिरफ्तार किया गया है, जिससे 200 क्रेडिट कार्ड जप्त हुये हैं जिनमें से एक कार्ड आपके (राकेश कुमार गुप्ता) नाम पर है, आपके खिलाफ मनी लॉड्रिंग की 17 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें सुप्रीम कोर्ट से आपके खिलाफ 2 वारंट जारी हुये हैं। आपके पास जितनी भी सम्पत्ति है उसे जप्त किया जाकर आपको गिरफ्तार किया जा सकता है इसलिये अभी आपको डिजिटल अरेस्ट किया गया है, यदि आपने अपने किसी भी रिश्तेदार या अन्य व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट के संबंध मे सूचना दी तो आपको अगले एक घंटे मे गिरफ्तार कर लिया जायेगा और इसमें आपको 03 महीने तक की जेल हो जायेगी इसलिये यदि आपको अपनी जान प्यारी है तो जो मैं कहता हूं वही करिये। इस प्रकार डिजिटल अरेस्ट के नाम पर मुझे व मेरी पत्नि को सुबह से लेकर रात तक मेरे घर में ही बिठा के रखा। इस दौरान मुझसे उन लोगों ने कॉल पर बात करके मेरे बैंक खातों व सम्पत्ति की जानकारी व परिवार के सदस्यों की जानकारी ली और 1,11,930/- रूपये का आरटीजीएस करवाने का बोला गया इस दौरान मेरा मोबाइल डिस्चार्ज होकर बंद हो गया। आज दिनांक 11.10.2024 को सुबह से पुनः व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आया और मुझे बैंक जाकर आरटीजीएस फॉर्म भरने का कहा गया तो मै डरकर उनकी बात को मान कर उनके कहे अनुसार बैंक गया तथा 1,11,930/- रुपये का आरटीजीएस फॉर्म भर दिया। जब उनके द्वारा बोला गया कि अगर जान प्यारी है तो किसी से इस संबंध मे चर्चा मत करना तो इस बात पर मुझे उन लोगों पर शक हुआ तब मै हिम्मत जुटा कर सायबर सेल में आया हॅू। उक्त मामले में सायबर सेल टीम द्वारा उक्त जालसाजों से बात की गई और उक्त फर्जी सीबीआई अधिकारी से पूछा गया कि किस अधिनियम या कानून के तहत आप किसी व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट कर सकते हैं एवं उसका फोटो परिचय पत्र व वीडियो कॉल पर उसका चेहरा दिखाने के लिए बोला गया तो, जालसाजों द्वारा तत्काल व्हाट्सएप वीडियो कॉल काट दिया गया। उसके बाद पीड़ित को टीम द्वारा समुचित तरीके से समझाया गया और उन्हें बताया गया कि डिजिटल अरेस्ट जैसा देश में कोई प्रावधान नहीं है साथ ही उन्हें बताया गया कि जालसाजों ने अपराध में संलिप्त होने के नाम पर उन्हे जो भी नोटिस भेजे है वे पूरी तरह से फर्जी हैं। आप इन पर विश्वास न करें। तब जाकर उन्होने राहत की सांस ली। सायबर सेल की टीम की तत्परता व त्वरित कार्यवाही से वरिष्ठ नागरिक के साथ होने वाली वित्तीय ठगी को होने से रोका गया और फरियादी एवं उनके परिवार सदस्यों द्वारा ग्वालियर पुलिस की सायबर सेल का हृदय से धन्यवाद दिया।

एडवाइजरी-
1. देश में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई भी प्रावधान नहीं है तथा कोई भी असली पुलिस अधिकारी /सीबीआई या क्राइम ब्रांच अधिकारी फोन पर या विडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट होने के लिए नही कहता है, ऐसे कॉल मैसेज प्राप्त होने पर कोई प्रतिउत्तर न दें एवं उन नंबर्स को तत्काल ब्लॉक कर दें।
2. व्हॉट्सएप, फेसबुक या इंस्टाग्राम पर आने वाले किसी भी संदिग्ध कॉल को न उठायें और यदि फोन उठा लिया है तो घबरायें नही अपनी निजी व आर्थिक जानकारी साझा न करें।
3. शक होने पर तुरंत फोन को काट दें एवं अपने नजदीकी पुलिस थाने व सायबर सेल जाकर या ऑनलाइन www.cybercrime-gov-in या 1930 कॉल पर रिपोर्ट करें।

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