ग्वालियर। 22.03.2023। ट्रिपल आईटीएम कॉलेज ग्वालियर के ऑडिटोरियम में आज दिनांक 22.03.2023 को ग्वालियर जोन के पुलिस अधिकारियों के लिये ‘‘एनडीपीएस एक्ट के अपराधों में गुणात्मक अनुसंधान’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि माननीय न्यायमूर्ति श्री दीपक अग्रवाल, म.प्र.उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस कार्यशाला में विशिष्ठ अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त माननीय न्यायमूर्ति श्री एम.के.मुदगल, अति0 पुलिस महानिदेशक ग्वालियर जोन श्री डी. श्रीनिवास वर्मा,भापुसे एवं अपर सत्र न्यायाधीश ग्वालियर श्री निवेश कुमार जायसवाल भी उपस्थित रहे। सर्वप्रथम अति0 पुलिस महानिदेशक ग्वालियर जोन श्री डी. श्रीनिवास वर्मा,भापुसे द्वारा मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ प्रदान कर उनका स्वागत किया गया, तद्उपरान्त पुलिस अधीक्षक ग्वालियर श्री अमित सांघी,भापुसे द्वारा विशिष्ठ अतिथि सेवानिवृत माननीय न्यायमूर्ति श्री एम.के. मुद्गल, अति0 पुलिस अधीक्षक (शहर-मध्य) ग्वालियर श्री ऋषिकेश मीणा,भापुसे द्वारा एडीजीपी ग्वालियर एवं अपर सत्र न्यायाधीश ग्वालियर श्री निवेश कुमार जायसवाल का एसपी एजेके श्री पंकज पाण्डेय द्वारा पुष्पगुच्छ प्रदान कर स्वागत किया गया। कार्यशाला में उपस्थित अतिथियों के स्वागत उपरान्त एसपी ग्वालियर द्वारा एनडीपीएस एक्ट की विवेचना संबंधी आयोजित कार्यशाला की रूपरेखा से सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों को अवगत कराया। इस अवसर पर उन्होने उपस्थित प्रतिभागियों से कहा कि यह एक गंभीर विषय है और मादक पदार्थ समाज व युवा पीढ़ी के लिए घातक है, क्योंकि बहुत से अपराध मादक पदार्थ के सेवन के उपरान्त ही घटित किए जा रहे हैं। उक्त कार्यशाला में मंच संचालन सीएसपी महाराजपुरा श्री रवि भदौरिया द्वारा किया गया।

मुख्य अथिति माननीय न्यायमूर्ति श्री दीपक अग्रवाल, म.प्र.उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर ने उपस्थित प्रतिभगियों को संबोधित करते हुए कहा कि मादक पदार्थ के सेवन से युवा पीढ़ी अपना जीवन बर्बाद कर रही है। पुलिस अधिकारियों को एनडीपीएस संबंधी प्रकरणों की विवेचना काफी गंभीरता से करनी चाहिए क्योंकि कभी-कभी विवेचक द्वारा की गई एक छोटी सी चूक के कारण आरोपी न्यायालय से बरी हो जाता है। इसका प्रमुख कारण अनुसंधान के दौरान विवेचना का कमजोर होना होता है। इसलिए प्रत्येक पुलिस अधिकारी को एनडीपीएस प्रकरण की विवेचना करते समय उसका स्तर उच्च रखना चाहिए साथ ही सुपरविजन अधिकारियों को भी यह ध्यान रखना चाहिये कि विवेचना अधिकारी द्वारा प्रकरण में किसी प्रकार की कोई कमी तो नही छोड़ी है उन्होने अपने व्याख्यान के अंत में यह भी कहा कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी को अपने कर्तव्य का निर्वहन पूरी ईमानदारी से करना चाहिए और अपने कार्य के साथ-साथ आध्यात्म से भी जुड़ना चाहिए। इससे आप विवेचना के दौरान अपने दिमाग को एकाग्रचित्त रख सकेंगे।

सेवानिवृत माननीय न्यायमूर्ति श्री एम.के. मुदगल द्वारा कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को एनडीपीएस संबंधी प्रावधानों एवं की जाने वाली संपूर्ण कार्यवाहियों से अवगत कराया गया। इस अवसर पर उन्होने कहा कि विवेचक द्वारा विवेचना के दौरान की गई छोटी-छोटी त्रुटियां की जाती है जबकि एनडीपीएस एक्ट के प्रकरणों में गलतियों की कोई गुंजाइश होनी ही नही चाहिये। क्योंकि यह एक ऐसा अपराध है जो कि युवा पीढ़ी को ही नही बल्कि संपूर्ण समाज को खराब कर रहा है। ऐसे अपराधों की रोकथाम सिर्फ इनके आरोपियों को न्यायालय से दण्ड दिलाकर ही कम किया जा सकता है। इसलिये सरकार द्वारा एनडीपीएस एक्ट में संसोधन किये जाकर प्रकरण की विवेचना को आसान बनाने की कोशिश की है। एनडीपीएस एक्ट के प्रकरण इतने जघ्यन्य अपराध है कि इनके लिये कड़े दण्ड के प्रावधान किये गये है। इसलिये विवेचक की कार्यप्रणाली सदैव संदिग्धता से परे होनी चाहिए। इसके अलावा उनके द्वारा उपस्थित प्रतिभागियों को एनडीपीएस एक्ट के प्रकरणों में पकड़े जाने वाले मादक पदार्थो की जप्ती प्रक्रिया से भी अवगत कराया गया। उनके द्वारा सभी प्रतिभागियो को एनडीपीएस एक्ट की प्रमुख धाराओं व उनमें की जाने वाली कार्यवाहियों की जानकारी दी गई। व्याख्यान के अंत में उनके द्वारा कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों के सवालों का जबाब देकर विवेचना संबंधी उनकी जिज्ञासा को शांत किया।

प्रशिक्षण कार्यशाला में एडीजीपी ग्वालियर जोन श्री डी. श्रीनिवास,भापुसे द्वारा प्रशिक्षण कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि विवेचना पुलिस प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है इसलिए विवेचक को एनडीपीएस जैसे गंभीर अपराधों का अनुसंधान करते समय विवेचना का स्तर उच्च कोटि का रखना चाहिए साथ ही नियम प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाना चाहिए जिससे आरोपी को माननीय न्यायालय से दंड दिलवाया जा सके। एनडीपीएस की विवेचना करते समय नवीन प्रावधानों का भी विवेचना में पालन आवश्यक रूप से करना चाहिए। वर्तमान समय में पुलिस को तकनीकी रूप से दक्ष होने के साथ ही नवीन कानूनी प्रावधानों की भी जानकारी होना आवश्यक है। एनडीपीएस की विवेचना में त्रुटि रह जाने से अभियोजन के दौरान अपराधियों को इसका लाभ मिलता है। उन्होने कहा कि एनडीपीएस के विवेचना के लिए सभी थानों में किट प्रदाय की गई है, मादक पदार्थ की जप्ती के समय उक्त किट का उपयोग आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए।

इसी क्रम में अपर सत्र न्यायाधीश ग्वालियर श्री निवेष कुमार जायसवाल द्वारा कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को एनडीपीएस एक्ट के नवीन प्रावधानों से अवगत कराया गया साथ ही विवेचक द्वारा की जाने वाली छोटी-छोटी त्रुटियां व उनके सुधार के तरीको से सभी को अवगत कराया। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों से कहा कि एनडीपीएस के प्रकरणों की विवेचना में प्रक्रियात्मक त्रुटि नहीं होनी चाहिए आपके द्वारा की गई विवेचना में यह दिखना चाहिए कि विवेचक का आचरण संपूर्ण प्रक्रिया में संदेह से परे रहा है। कार्यशाला में सम्मिलित हुए प्रतिभागियों द्वारा अपर सत्र न्यायाधीश ग्वालियर से विवेचना के दौरान आने वाली कठिनाइयों से संबंधित प्रश्न भी किए जिनका अतिथि के द्वारा निराकरण किया गया।

उपस्थित मुख्य अथिति एवं विशिष्ठ अतिथियों के उद्बोधन उपरान्त एडीजीपी ग्वालियर द्वारा माननीय न्यायमूर्ति श्री दीपक अग्रवाल, म.प्र.उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर को स्मृति चिन्ह भेट किया तथा एसपी ग्वालियर द्वारा माननीय न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त श्री एम.के.मुदगल एवं अति. पुलिस अधीक्षक मोती उर रहमान द्वारा अपर सत्र न्यायाधीश ग्वालियर श्री निवेष कुमार जायसवाल को स्मृति चिन्ह भेट किए। कार्यशाला के प्रथम सत्र के अंत में अति. पुलिस अधीक्षक श्री गजेन्द्र सिंह वर्धमान द्वारा उपस्थित मुख्य अतिथि एवं विशिष्ठ अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

कार्यशाला के द्वितीय सत्र में एसपी अजाक ग्वालियर रेंज श्री पंकज पाण्डेय द्वारा एनडीपीएस एक्ट संबंधी अपराधों के अनुसंधान में की जाने वाली कार्यवाहियों तथा उसमें बरती जाने वाली सावधानियों से उपस्थित प्रतिभागियों को अवगत कराया गया। व्याख्यान के प्रारंभ में उनके द्वारा वीडियो क्लिप के माध्यम से नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराया गया। तद्उपरांत उनके द्वारा पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से एनडीपीएस एक्ट व उसके प्रावधानों के संबंध में जानकारी प्रदाय की गई साथ ही उन्होने सभी को केन्द्र सरकार द्वारा दिसंबर 2022 में एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों में किये गये संशोधन से सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया। इस दौरान उन्होने एनडीपीएस एक्ट के प्रकरण में विवेचना के दौरान उपयोग किये जाने वाले प्रोफार्माे के बारे में बताया और कहा कि संपूर्ण विवेचना क्रमबद्ध तरीके से की जानी चाहिए तभी आपके द्वारा की गई विवेचना में आरोपी को सजा मिल सकती है। एनडीपीएस के प्रकरणों में माल जप्ती की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसलिये माल जप्ती किन-किन बातों का ध्यान रखा जाए इसकी जानकारी भी सभी प्रतिभागियों को दी। उन्होंने अपने व्याख्यान में एनडीपीएस एक्ट की धारा 29 व धारा 37 के प्रावधानों व इनके अंतर्गत की जाने वाली कार्यवाहियों से सभी को अवगत कराया। व्याख्यान के अंत में उन्होने ‘‘पिट एनडीपीएस एक्ट’’‘‘सफेमा’’ के प्रावधानों की भी जानकारी प्रदान की।

कार्यशाला के त्रितीय सत्र में डॉ. ज्ञानेन्द्र गौड़, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी एफएसएल ग्वालियर द्वारा ‘‘एल्कोहल और नार्कोटिक्स’’ विषय पर पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से अपना व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में उनके द्वारा मादक पदार्थों की पहचान के तरीकों, लक्षण एवं मादक पदार्थ की जप्ती संबंधी कार्यवाहियों से सभी को अवगत कराया गया साथ ही कार्यवाही के दौरान मादक पदार्थ की संेपलिंग कैसे की जाये इसके बारे में भी जानकारी प्रदान की। उन्होने यही भी बताया कि एनडीपीएस एक्ट के प्रकरणों में कार्यवाही करते समय सेंपल को प्रक्रिया के अनुसार ही प्रिजर्व करें और समय अवधि के भीतर जांच हेतु फॉरेंसिक लैब में पहुंचाये। जिससे अभियोजन के दौरान आरोपी के दोषसिद्धी में आपको मदद मिलेगी। कार्यशाला के चतुर्थ सत्र में श्री दयाशंकर सिंह, अधीक्षक, केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ग्वालियर द्वारा एनडीपीएस अधिनियम के तहत की जाने वाली जांचों तथा उसमें आने वाली चुनौतियों व समस्याओं के समाधान के संबंध में व्याख्यान दिया। उन्होने एनडीपीएस एक्ट से सभी प्रावधानों व उसके इतिहास से सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया। इसके साथ ही उन्होने बताया कि एनडीपीएस एक्ट के प्रकरणों में कार्यवाहियों में उपयोग की जाने वाली विवेचना किट की उपयोगिता से भी अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्यवाही करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखा जाये। जो कि कार्यवाही करते समय आपके लिये मददगार साबित हो। एनडीपीएस एक्ट के प्रकरणों में अभियोजन के दौरान माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर दिये गये जजमेंट्स से भी सभी को अवगत कराया।

कार्यशाला में श्री डी.के. शर्मा, अपर लोक अभियोजन ग्वालियर द्वारा एनडीपीएस एक्ट के प्रकरणों में विवेचना के दौरान विवेचकों द्वारा आमतौर पर की जाने वाली त्रुटियों के संबंध में जानकारी दी और कहा कि आपके द्वारा की गई छोटी सी त्ऱुटि अभियोजन के समय लाभ पहुंचाती है। इसलिये विवेचक को एनडीपीएस एक्ट के प्रकरण में जारी प्रक्रिया के अनुसार की पंचनामा, प्रोफार्मा, जप्ती आदि तैयार करें साथ ही केस डायरी लेख करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें की लेखन त्रुटि न हो क्योंकि इसका लाभ भी आरोपी पक्ष को मिलता है। न्यायालय में अभियोजन के दौरान साक्ष्य देते समय केस डायरी के सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर अपने कथन दें, इस हेतु आवश्यकता होने पर अभियोजन शाखा से मदद भी प्राप्त कर सकते है।

कार्यशाला में एएसपी शहर (दक्षिण/यातायात) श्री मोती उर रहमान,भापुसे, एएसपी शहर(मध्य) श्री ऋषिकेश मीणा,भापुसे, एएसपी शहर (पूर्व/अपराध) श्री राजेश दंडोतिया, एएसपी शहर(पश्चिम) श्री गजेन्द्र सिंह वर्धमान सहित समस्त नगर पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारीगण व पुलिस के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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