🔴 *उक्त प्रकरण में चार आरोपियों को पुलिस द्वारा पूर्व में ही भोपाल व जयपुर से गिरफ्तार किया जा चुका है।*

ग्‍वालियर। 30.11.2025। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ग्वालियर धर्मवीर सिंह,भापुसे के निर्देश पर ग्वालियर जिले में विभिन्न लंबित आपराधिक प्रकरणों में वांछित फरार आरोपियों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही की जा रही है। इसी तारतम्य में अति0 पुलिस अधीक्षक(पश्चिम/अपराध) ग्वालियर श्रीमती सुमन गुर्जर के द्वारा अपने अधीनस्थ समस्त थाना प्रभारियों को अपने-अपने थाना क्षेत्र में फरार आरोपियों को पकड़ने हेतु निर्देशित किया गया।

वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशो के परिपालन में डीएसपी अपराध श्री नागेन्द्र सिंह सिकरवार एवं एसडीओपी बेहट श्री मनीष यादव के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी क्राइम ब्रांच निरीक्षक अमित शर्मा के द्वारा क्राइम ब्रांच की टीम को थाना अपराध शाखा में अप0क्र0- 37/24 धारा 420,384,467,468,471 भादवि, 66डी आईटी एक्ट के प्रकरण में वांछित अन्य आरोपियों को पकड़ने हेतु लगाया गया। उक्त प्रकरण में आवेदिका सुजाता बापट के साथ डिजिटल अरेस्ट करके 38 लाख रुपए की ठगी की गई थी जिसमें पुलिस टीम द्वारा 04 आरोपियों को भोपाल व जयपुर से गिरफ्तार किया चुका है।

दौराने विवेचना पुलिस टीम द्वारा तकनीकी सहायता के आधार पर उक्त प्रकरण में पूर्व में जयपुर से गिरफ्तार किए गए आरोपी ओमप्रकाश नायक के भाई आरोपी अनिल नायक को साइबर क्राईम निरी. धर्मेन्द्र सिंह कुशवाह के नेतृत्व में पुलिस टीम द्वारा दिनांक 29.11.2025 को ग्वालियर से गिरफ्तार किया गया। पकड़े गये आरोपी ने अपना नाम अनिल नायक पुत्र मोहनलाल नायक निवसी जयपुर(राजस्थान) बताया। पकड़ा गया आरोपी अनिल नायक अपने भाई ओमप्रकाश नायक के साथ मिलकर साइबर फ्रॉड हेतु खाते खुलवाता था और वह बैंक खाते ऑपरेट करता था। आरोपी से पुलिस टीम द्वारा पूछताछ की जा रही है कि आरोपी द्वारा अभी तक कितने बैंक खाते साइबर फ्रॉड कार्य हेतु उपयोग करने हेतु अपने साथियों को दिए गए। उक्त आरोपी की गिरफ्तारी में ग्वालियर साइबर क्राइम की पूरी टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

*घटना का संक्षिप्त विवरणः*- फरियादिया डॉ. सुजाता बापट निवासी गुलमोहर सिटी ग्वालियर ने क्राइम ब्रांच ग्वालियर में रिपोर्ट लेख कराई थी कि उनके पास दिनांक 09.04.2024 को मुझे राजीव गुप्ता नाम के व्यक्ति का कॉल आया और बोला कि आपका एक पार्सल लखनऊ से म्यांमार के लिए बुक हुआ है, जिसमें 20 पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड, एक लैपटॉप, 50 ग्राम एमडीएमए ड्रग्स और 04 किलोग्राम क्लॉथ है। फिर टेलीग्राम पर वीडियो कॉल में एक पुलिस यूनिफॉर्म पहने एक व्यक्ति दिखा और बोला कि आप का नाम अजय मिश्रा केस ह्यूमन ट्रैफिकिंग व मनी लॉन्ड्रिंग में संदिग्ध है तो आपको डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है। उसके बाद उन्होने मुझे डिजिटल अरेस्ट कर कुल 38 लाख रूपये की धोखाधड़ी की गई। फरियादिया की रिपोर्ट पर से थाना अपराध शाखा में अप0क्र0- 37/24 धारा 420, 384,467,468,471 भादवि, 66डी आईटी एक्ट का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया था।

*ग्वालियर पुलिस की एडवाइजरी* :- वास्तव में कोई “डिजिटल अरेस्ट“ नहीं होता है और यह एक साइबर घोटाला है। यह धोखाधड़ी तब होती है जब अपराधी फोन या वीडियो कॉल करके लोगों को डराते हैं कि उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा और उनसे जुर्माना या पैसे की मांग करते हैं। इस धोखाधड़ी से बचने के लिए, शांत रहें, किसी भी निजी या वित्तीय जानकारी को साझा न करें, और तुरंत राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या अपनी स्थानीय पुलिस से शिकायत करें।

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